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धर्म के आधार पर किसी व्यक्ति की तुलना करना क्या सही है?...

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 आपने पूछा धर्म के आधार पर किसी भी व्यक्ति की तुलना करना ऐसा क्या सही है बिल्कुल नहीं है हर आदमी अद्वितीय है हर आदमी के अंदर श्रेष्ठ गुण हैं हर आदमी के अंदर गुण अवगुण का समावेश है हमें हमारी दृष्टि सदैव सकारात्मक ना चाहिए हमें हमेशा लोगों के गुणों के ऊपर गुणों की ओर ध्यान देना चाहिए संत जो कभी किसी के अवगुणों नहीं देखते ना किसी से कहते हैं वह हमेशा इसलिए उस संतो को कपास कहानियां कपास क्या करता है खुद मशीन में निकलने के बाद उसकी कटाई होती धुलाई होती है डंडे पढ़ते हैं तब जाकर वह अंतर्वस्त्र बनता है वक्त बनने के बाद दूसरों के अंगों को ढकता है इसी प्रकार संत संत स्वभाव है यह हमेशा दूसरों के अवगुणों को डांटते हो गुणों को कहते हैं तो हमें तुलना नहीं करना है कि अभी तुलना करने में गुण और अवगुण प्रकट होते हैं जब भी हम किसी की तुलना करेंगे तो किसी के अवगुण पर कांटों में किसी के गुण प्रकट हो और गुण और अवगुण दोनों को संतुष्टि से देखने का नाम ही सरल स्वभाव और सरल स्वभाव होना ही निर्मल मन करने का उपाय और निर्मल मन होना ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग धर्म के आधार पर किसी की तुलना नहीं करना चाहिए ठीक नहीं है हर आदमी के अंदर अनंत अनंत गुण हैं और अनंत अनंत अवगुण हैं हम देखते क्या हैं हमारा नजरिया के आए हम


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