अगर घर का शांति बिगड़ जाए तो क्या करें?...

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अगर घर का शांति बिगड़ जाए तो क्या करें यह बहुत बड़ी समस्या है आज लोगों के साथ जैसे-जैसे घर में लोग ज्यादा कमाने वाले हो जाते मियां भी कमा रहा है बीवी भी कमा रही है तो ऐसे घरों में तो मैंने अक्सर देखा है कि बहुत ज्यादा अशांति का माहौल होता है और कहने को तो हम बहुत पढ़े लिखे होते चले जा रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी आप देखें कि आजा जो फैमिली कोर्ट है वह विवादों से भरे घरों में अशांति एक प्रमुख कारण बन जाता है छोटी-छोटी बातों पर लोग इतने बड़े बड़े बवंडर घर में कर देते हैं कि घर-घर न लगे कोई कुरुक्षेत्र लगने लगता है लेकिन व्यक्ति की इच्छा हमेशा शांति की हुई है और जो व्यक्ति शांति चाहता है उसके लिए तो ऐसे मोहल पर रह पाना बहुत कठिन होता है लेकिन आप अपनी व्यवहार को तो परिवर्तित कर सकते हैं दूसरे के व्यवहार को परिवर्तित करना एक जटिल प्रक्रिया है और हम अपना सारा जीवन बस दूसरे के परिवर्तन में लगा देते हैं जिसके कारण हमारे जीवन में अशांति और भी अधिक बढ़ जाती है यदि आप अगर अपने घर में शांति चाहते हैं तो पहले तो आपको अपने स्व पर ही ध्यान देना होगा कहीं आपका अपना उतावलापन कहीं आपका अपना चिड़चिड़ापन कहीं आपका अपना अहम ही तो आपके घर की अशांति की वजह नहीं है या फिर बहुत जल्दी क्रोध आ जाना चीजों को गहराई के साथ ना समझना और दूसरे तरह के स्वार्थ हैं कुछ और निम्न भावनाएं हैं जिसके कारण घर का माहौल बिगड़ जाता है यदि किसी दूसरे व्यक्ति के कारण घर की अशांति बार-बार मांग हो रही है तो यह विषय और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है क्योंकि हम दूसरे के व्यवहार को तो जल्दी परिवर्तित नहीं कर सकते और उस वक्त हमारी समाज का परिपक्व होना ही घर में शांति की वजह बन सकता है अगर आप की परिपक्वता अधिक है कि आपको यह पता है कि दूसरे व्यक्ति के उकसाने से मैं नहीं लूंगा तू घर में शांति बनी रहेगी यह माल नीचे क्योंकि अक्सर क्या होता है हम अपने गलत व्यवहार का जो दूसरों को दूसरों के ऊपर दे देते हैं कि इस व्यक्ति ने मुझे ऐसा कहा तू ही मैंने पलट कर इसे ऐसा कहा यानी कि मेरा दिल वह तो दूसरे के हाथ में हो गया लेकिन जब इस रिमोट को हम अपने हाथ में रखते हैं तब चीजें बदलना शुरू हो जाते हैं इसके लिए जरूरी है कि हम अपने जीवन में जागरूकता को लाएं आप जो कुछ भी शब्दों को कह रहे हैं चीजों को जिस तरीके से देखें पूर्ण रूप से उस पर उपस्थित हो करके देखें जैसे मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देती हूं कि अगर आप पेपर पढ़ने बैठे न्यूज़ पेपर पढ़ने बैठे हुए बहुत लीन है उस पेपर को पढ़ने में और इतने में आपकी पत्नी मुस्कुराते हुए चाय का प्याला लेकर के आए और आपको आ करके उन्होंने एक दो बार टोका की चाय ले लो और आपने कहा कि चाय तो पी लूंगा और चाय लगदी पति रख कर चली गई कुछ देर बाद फिर आती है तो देखना पेपर पढ़ने में तल्लीन है तो वह जरा व्यंग रुप से आपको कहती थी कि पेपर का इतना महत्व कि मेरी बनाई हुई चाय का कोई भी महत्व नहीं है और उनके तुनक मिजाज तरीके से कहने के कारण है वहां एक विवाद शुरू हो जाता है यहां यह देखना चाहिए यहां देखने वाली बात क्या होगी किसको दोस्तों के आप अपने को दोस्तों के की पत्नी को तू तो आपको भी मजा आ रहा था पेपर पढ़ने में पत्नी भी पूरी अपनी प्रेमभाव से आपके लिए चाय बना के लेकर गलती किसकी है गलती अगर कहीं है तो वह जागरूकता की दोनों दोनों ही जागरूक नहीं हैं पति जागरुक नहीं है कि पत्नी आई हुई और वह चाय का प्याला रखकर की गई है तो मुझे उस को महत्व देना और पत्नी भी जागरुक नहीं है कि भाई अगर पड़ रहा है पति तूफान लेने दो ठंडी चाय पीनी है तो फिर लेकिन यहां छोटी सी बाकी तक्रार का विषय बन जाती है और कई बार बड़े-बड़े रूप ले लेते हो बस यहां से एकजुट टकराव शुरू होता है तो फिर उसमें जब आप क्रोध में आ जाते तो क्रोध में कभी भी अच्छे शब्दों का इस्तेमाल तो पता नहीं और दूध एक दूसरे के लिए अंगल बातें व्यक्ति कहने लगता है और तब हम उन बातों को ज्यादा महत्व देते हैं शांति के पलों में अगर हम किसी को सर आ रहे तो वह बातें हमारे दिल पर इतना महत्व नहीं रखती लेकिन अगर गुस्से के कहीं शब्द हमारे दिल में हमेशा तीर की तरह करते हो और वह हम जीवन भर अपने अंदर संभाले हुए चलते तू हमें उन पलों में जब व्यक्ति दूसरा व्यक्ति अपना संतुलन खो रहा है उस वक्त अपने आप को बहुत अधिक जागरूक रखना क्योंकि वह तो गलत शब्दों का प्रयोग करेगा अगर इधर से आपके लिए संस्कृत बहुत अधिक गलत हुए तो घर को कुरुक्षेत्र बनने से कोई नहीं बचा सकता लेकिन आपका थोड़ी सी जागरूकता आपका थोड़ा सा धैर्य उस अशांत पल को भी शांति की ओर ले जाएगा वही बातें अगर उस व्यक्ति के शांत होने पर आप तो उसका रिएक्शन दूसरा होगा लेकिन वही बातें अगर आप क्रोध में डूबे हुए व्यक्ति क्यों अगर कहते हैं तो उसका रिएक्शन दूसरा होगा और फिर दोनों के जीवन में अशांति आ जाएगी तो घर के अगर किसी भी सदस्य के कारण घर में कुछ मोहल्ला शांत हो रहा कि यह जरूरी है कि जो बाकी के सारे सदस्य हैं वह इस बात को समझे कि जब अगर इस वक्त इस व्यक्ति के कारण घर में अशांति प्रिय मेरी जिम्मेदारी बनती है कि घर की शांति को बनाए रखने के लिए मुझे ज्यादा जागरूकता से काम लेना है और फिर उस वक्त का इंतजार करें जब आप घर में देखे किसान तपन है और इस वक्त पर अगर मैं कुछ कहूंगा तो हो सकता है कि मेरी बातों को सकारात्मक रूप से लिया जाए लेकिन धैर्य रखें उन पलों में भी अगर तब भी बात होती तो अपने घर को ना तू शांति की एक अपनी कीमत है और उसकी मत हो चुका है कि बगैर आप घर घर में या अपने जीवन में शांति को नहीं ला सकते आपकी अपनी जागरूकता आपका अपना धैर्य हमेशा आप की शांति को बिगड़ने नहीं देगा यदि आप अपनी शांति के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहरा रहे अगर आप अपने प्यार के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो फिर आप पल-पल शांति को जपते रहेंगे लेकिन शांति के गहरे मतलब को गहरे में उतरने के लिए आपको शांति के महत्व को समझना ही पड़ेगा और जो भी व्यक्ति शांत होकर गहरे में अपने अंदर शांति को उतार लेता है फिर उसकी शांति को कोई भंग नहीं कर सकता तो फिर घर में अगर आप यह चाहते हैं कि शांति रहे तो आपके अंदर जागरूकता के साथ साथ क्षमा भाव का होना भी बहुत जरूरी अगर घर के सारे सदस्य छोटी से लेकर बड़ी बातों के लिए भी एक दूसरे के प्रति क्षमा का भाव रखें तो गई हुई शांति भी वापस आ जाते हैं कुछ बातों को हमें अपने घर में तय कर लेना चाहिए जब चार बर्तन घर में खड़े रहते हैं तो लाजमी है कि कभी ना कभी वो आपस में खटखटाया लेकिन जब ऐसे पल आते हैं तो उन पलों को गहरी याद बनाकर अपने दिलो दिमाग में ना छुपा ले और जब कभी भी फिर बात बिगड़े तो हम उन्हीं पलों को दोबारा याद करना शुरू करते थे हमें सिर्फ उन पलों से यह समझना चाहिए कि अशांति के पल मन में विक्रम लाते हैं तो तुम्हारा वह स्थिति उपस्थित होने पर हमें पुरानी बातों को मैं सिर्फ यह याद रखना है कि मैं अपनी अगर शांति को मैंने जाने दिया तो मैं बहुत कुछ खो दूंगा तू बैठना नहीं है मुझे बहना नहीं है दूसरे के बाहों में तो मुझे क्षमा को अपने ऊपर रखना है और अगर आप क्षमा शील बने रहेंगे अगर आप धैर्यवान बने रहेंगे अगर आप जागरूक बने बने रहेंगे तो निश्चित मानिए आप की शांति को आपसे पूरी नहीं छीन सकता धन्यवाद

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